Mata shabri ki kahani spiritual stories in hindi

Mata shabri ki kahani spiritual stories in hindi 

हेलो दोस्तो आपका स्वागत है आपके अपने ब्लॉग spritual kahaniya में और मैं हु आपका दोस्त मुंगेरी ढालिया ।
दोस्तो आज हम ऐसे भक्त के बारे में जानेगे जो नीचे कुल में जन्म लेकर भी भगवान की परम भक्ता बनी ।दोस्तो राम जी ने जिसके उदाहरण से ये स्पष्ट कर दिया कि भगवान की भक्ति किसी कुल की नही है ।उसे कोई भी कर सकता है ।
दोस्तो ऊंच निच भक्ति में नही चलता उसके लिए राजा हो या रंक सभी को एक ही कतार में लगना पड़ता है ।
तो चलिए शुरू करते है। दोस्तो दण्डकारण्य में ऋषि मुनि होम आदि किया करते थे ।
वही पर एक भिलनी रहती थी ।उसका नाम शबरी था।वो नीची जाति की होने के वो भिलनी ऋषि मुनियों के आगे आने से भी कतराती थी ।पर उसमे ऋषियो कि सेवा करने की इच्छा रहती थी ।इसलिए वो सुबह ब्रह्म महूर्त से पहले सभी ऋषियो की कुटिया में लकड़ी के डंठल रख कर आ जाती थी और उनके स्नान करने से पहले ही वो उनके जाने के रास्ते को साफ करके आ जाती थी। 
ये सेवा वो रोज करने लगी ।किसी को भी नही पता चला कि ये सब को करता है ।लेकिन उसी वन में महृषि मतंग रहते थे ।वे सोचते किये सेवा को करता है जो भी ये करता है मुझे उसके दर्शन करने ही पड़ेंगे ।कोन है वो महात्मा मुझे इसका पता लगाना ही पड़ेगा फिर वे अपने शिष्यों से कहते है ।कि जब वो आज सुबह आएगी तो आप छुपकर उसे पकड़ लेना ।शिष्यो ने ऐसा ही किया ।जब शबरी आई तो उन शिष्यो ने उन्हें घेर लिया उन सबको देखकर वो डर गई ।तब मतंग ऋषि ने कहा कि देवी आप डरिये मत आप जो ये रोज सेवा करती है ।हम जानना चाहते थे कि आप कौन है ।आप जैसा शुद्ध भक्त के दर्शन करके हम धन्य हो गए । और उनको अपने आश्रम में रख लिया ।ये सुनकर सभी ऋषियो ने उन्हें अपने समाज से निकाल दिया । फिर कुछ सालों बाद मतंग ऋषि ने कहा कि हे शबरी अब मेरे इस देह को त्यागने का समय आ गया है ।शबरी ने कहा कि गुरुवर अगर आप नही होंगे तो मैं यह क्या करूँगी तो ऋषि मतंग ने कहा कि शबरी तुमको अभी यही रहना है ।क्योंकि श्री राम प्रभु यहाँ पर तुम को अपना दर्शन देने आएंगे ।और वो इस संसार को छोड़ कर चले गए ।शबरी को अपने गुरु के वचन पर पूरा भरोसा था ।और वो उनका ििनतजार करने लगी ।एक दिन जब वो ऋषियो का मार्ग साफ कर रही थी तो एक ऋषि उनसे रस्ते में टकरा गए ।उन्होंने कहा कि मेरा तो धर्म भृष्ट हो गया एक अछूत ने मुझ को छू लिया ।और वो पंपासरोवर में स्नान करने गया जैसे ही उसने उस जल को छुआ वो जल रक्त बन गया ये सब देखकर उसने सोचा कि इस अछूत को छूने के कारण ये सब हुआ है ।
शबरी वहा से चली गयी ।शबरी रोज अपनी कुटिया के मार्ग को फूलों से सजती थी ।और रोज चखकर मीठे फल भी रखा करती थी ताकि राम प्रभु को अच्छे फल ही  मिले।
इसे वो रोज किया करती थी । एक दिन श्री राम जी वहां आये और माता शबरी का पता पूछते पूछते उनकी कुटिया तक आये ।तो माता शबरी उनके चरणों  में गिर कर प्रणाम किया ।और उन्हें अपने साथ कुटिया में ले गयी ।और उनको वो मिठे फल खिलाये जो उन्होंने चख कर रखे थे ।
वहां के ऋषि मुनियों को जब ये पता चला कि श्री राम आये है और माता शबरी के कुटिया में रुके है तो उनका ऊंच नीच की भावना खत्म हो गयी और वे उनके दर्शन के लिए गए ।उन्होंने श्री राम के चरण स्पर्श किये ।और उनसे कहा कि पंपासरोवर का जल रक्त बन गया है ।आप कोई उपाय बताए तब श्री राम जी ने कहा कि आपने माता शबरी का अपराध किया था इसलिए ये सब हुआ आप माता शबरी के चरणों को छू कर क्षमा मांगे और उनके चरणों का स्पर्श पंपासरोवर के जल में होते ही ।सब पहले जैसा हो जाएगा ।तब ऋषियो ने वैसा ही किया और उनके चरणों के स्पर्श से पंपासरोवर का जल फिर से पहले की तरह हो गया ।फिर श्री राम ने माता शबरी को नवदा भक्ति का उपदेश दिया ।और  माता ने अपना देह त्याग किया।
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                धन्यवाद


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