राजा चन्द्रहास की कहानी spiritual stories in hindi

राजा चन्द्रहास की कहानी spiritual stories in hindi 

हेलो दोस्तो आपका स्वागत है आपके अपने  spiritual kahaniya में और मैं हु आपका दोस्त मुंगेरी ढालिया दोस्तो आज हम राजा चन्द्रहास की कहनिके बारे में जानेगे ।
तो चलिए शुरू करते है ।
एक बार केरल के एक राजा थे ।उनके पुत्र का नाम चन्द्रहास था ।वे बचपन से ही भगवत भक्त थे ।उन्हें भक्ति का ज्ञान नारद जी से मिला था ।साथ ही नारद जी ने उन्हें एक शालिग्राम की छोटी मूर्ति दी थी और उसकी सेवा के बाद उसको मुह में रखने को कहा था चन्द्रहास रोज उस मूर्ति को स्नान कराकर पूजा अर्चना करके उसको अपने मुख में रख लेता था ।
एक बार एक राजा ने उनके राज्य पर आक्रमण कर दिया । और सभी को मार दिया ।पर एक दासी ने चन्द्रहास के प्राण बचा लिए और  उसे एक दूसरे राज्य ले गयी वहां वो उसे उस देश के राजा के दीवान के यहा ले गयी ।और उसका पालन पोषण करने लगी ।
फिर उसकी भी मृत्यु हो गई ।एक दिन उस दिवान ने कई ब्राह्मणों को भोजन पर बुलाया । तभी चन्द्रहास खेलता हुआ वहाँ आया ।उस दिवान ने ब्राह्मणों को पूछा कि मेरी बेटी का विवाह किसके साथ होगा। तो उन ब्राह्मणों ने चन्द्रहास की और इशारा करते हुए कहा कि इसके साथ ।तब वो मन में बहुत घबरा गया ।और उसने सोचा कि एक दासी के पुत्र के साथ मैं अपनी पुत्री का विवाह नही कर सकता । ये सोचकर उसने उसको मारने के लिए कुछ लोगो को धन दिया।तब वो लोग चन्द्रहास को मारने के लिए जंगल में ले गए । उस छोटे से बालक को देखकर उनका मन उन्हें मारने का नही हुआ ।तब चन्द्रहास ने कहा कि आप मुझे मारने के लिए यहा लाये हो ।क्या आप मेरी एक इच्छा पूरी कर सकते हो क्या ।उन बधिको ने कहा कि क्या इच्छा है तुम्हारी हम तुम्हारी इच्छा जरूर पूरी करेंगे तब चन्द्रहास ने कहा कि जब मैं तुम्हे कहूँ तब ही मुझे मरना ।
फिर बालक चन्द्रहास ने अपने मुह में से शालिग्राम की मूर्ति निकाली और उनको स्नान आदि करा कर पूजा अर्चना की और उनकी मनोहर छवि में ही खो गया।और उनको इशारा किया मारने के लिए जब वे उन्हें मारने लगे तो वे बेसुद हो गए और उनके मन मे भी भगवान के लिए प्रेम उमड़ आया ।और वे भी प्रभु भजन में लग गए और बालक को छोड़ दिया ।और उस दिवान को कहा कि हमने उसे मार दिया ।।। एक दिन कलिंग देश का राजा उस जंगल से गुजरा।उसके कोई संतान नही थी ।जब वो जंगल से जा रहा था तब उसने देखा कि चन्द्रहास बैठा है और पक्षियों ने अपने पँखो से उसके ऊपर छत्र बना रखा है। ताकि उसको धूप न लगे और उसके चारों और हिरण बैठी थी ।उसने दौड़कर उसे उठाया और अपने राज्य में ले गया ।और उसे अपना पुत्र बना लिया ।कुछ समय बाद राजा ने उसको राजा बनाकर शरीर छोड़ दिया उसने बड़े प्रेम से अपना राज्य भार उठाया ।और वो संतो ओर दुसरो की सेवा में ही लगा रहता था ।एक बार वो दिवान उसके राज्य में आया और उसे देखकर पहचान लिया ।और उसके मन मे फिर से क्रोध आया और उसने फिर से उसे मारने की योजना बनाई।
उसने चन्द्रहास को एक पत्र दिया और कहा कि ये मेरे पुत्र को दे देना । चन्द्रहास वहाँ से गया और उस दिवान के राज्य में चला गया ।वहां पर उसने वो बाग़ देखा जिसमे वो खेला करता था।वो थोड़ी देर के लिए वहाँ सो गया ।तभी वहां उस दिवान की बेटी आयी ।उसका नाम विषया था।उसने चन्द्रहास को पहचान लिया ।और मन मे उसको अपना पति मान लिया ।
उसने चन्द्रहास के पास पड़ा पत्र देखा जो उसके पिता ने उसके भाई के लिए लिखा था।उसमें लिखा था कि पुत्र तुम इसको विष दे देना ।विषया को अपने पिता के ऊपर बहुत क्रोध आया ।उसने काजल से विष के आगे या लिख दिया ।और वहां से चली गयी ।
चन्द्रहास उठा और वो पत्र दिवान के पुत्र को दिया ।
अब उसमें लिखा था कि पुत्र तुम इसको विषया दे देना ।उसने इसप्रकार ही किया और उन दोनो का विवाह करवा दिया ।जब दिवान आया तो उसने अपने पुत्र को डांटा तब पुत्र ने वो पत्र दिखया ।उस दिवान का क्रोध और बढ़ गया ।और उसने कुछ लोगो को फिर से पैसे दिए ।और कहा कि जो आदमी देवी के मंदिर में आएगा उसको मार देना ।और उस दिवान को देवी के मंदिर में दर्शन करने को कहा वह चला गया कि तभी उस देश के राजा का फरमान आया कि वो चन्द्रहास को गोद लेना चाहता है ।और दिवान के बेटे को उसे लेने के लिए भेज दिया।वो दौड़कर चन्द्रहास के पास पहुंचा और उसको सब बात बताई तब चन्द्रहास ने कहा कि वो देवी के मंदिर में पूजा करने जा रहा है ।दिवान के पुत्र ने कहा कि पुजा मैं कर दूंगा आप जाओ फिर वी मंदिर गया वहा पर बधिको ने उसको मार दिया ।राजा ने चन्द्रहास का राज तिलक करवा दिया ।दिवान को जब ये पता चला कि उसके पुत्र की हत्या हो गयी तो वो बहुत दुखी हुए और देवी के मंदिर में ही अपने प्राण त्याग दिया।ये बात सुनकर चन्द्रहास मन्दिर में आये और देवी से उनको फिर जीवित करने की प्रार्थना की।वे दोनों पुनर्जीवित हुए और दिवान ने चन्द्रहास से क्षमा मांगी। चन्द्रहास की भक्ति के प्रभाव से सारा राज्य भक्त बन गया।
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           धन्यवाद

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