मांसाहार क्यो नही करना चाहिए ? Spiritual short story in hindi soch
मांसाहार क्यो नही करना चाहिए ? Spiritual short story in hindi soch
हेलो दोस्तो आपका स्वागत है Spiritual short story in hindi soch में और मैं हु आपका दोस्त मुंगेरी ढालिया ।दोस्तो आज कल के युग मे मांसाहार करना आम बात हो गयी है ।लेकिन हमारे सनातन धर्म के अनुसार मांसाहार करना पाप माना जाता है ।क्योंकि अपने स्वाद के लिए किसी निर्दोष के प्राण लेकर उसको खाना बहुत बड़ा अपराध है। कई लोग कहेंगे कि हम उस जीव को मारकर उसको निम्न योनि से मुक्ति दिला रहे है। इसको हम एक कहानी से समझते है।
Spiritual short story in hindi soch
मांसाहार क्यो नही करना चाहिए ?
दोस्तो श्री कृष्ण जी एक बार जंगल मे एक शिला पर बैठे हुए थे की तभी उनके पास एक हिरन का बच्चा भागता हुआ आया और उनके पीछे खड़ा हो गया और तभी वहां पर एक शिकारी आया और श्री कृष्ण को कहा कि आप थोड़ा यहाँ से हट जाइये मुझे इस हिरन का शिकार करना है ।तब श्री कृष्ण बोले कि तुम इस निरपराध जीव को क्यो मारना चाहते हो।
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तब वो बोला कि मैं इसको मारकर अपने परिवार का पेट भरूँगा।जिससे हमारी भूख शांत हो सके ।तब श्री कृष्ण ने कहा कि अपने स्वाद के लिए जीव हत्या करना बहुत बड़ा अपराध है। लेकिन वो शिकारी बोला कि मैं इस जीव को मारकर इस जीवन से मुक्ति दिला रहा हु।
इसमे कैसा पाप मैं तो इसका भला ही कर रहा हु।तब श्री कृष्ण ने कहा कि मैं तुमको एक कहानी सुनाता हूं ।उसको सुनने के बाद तुम निश्चय करना कि तुमको क्या करना है।तब वो शिकारी मान गया।
गरुड़ पुराण की कथा
तब श्री कृष्ण ने कथा प्रारम्भ की ।एक बार एक राज्य में कम फसल उत्पादन की वजह से खाद्य संकट पड़ा था ।और उस राज्य के राजा ने सभा बुलाकर अपने सभी सामन्तो और प्रधान मंत्री को पूछा कि इस खाद्य संकट से बचने के लिए सबसे सस्ता क्या है । तब शिकार का शौक रखने वाले एक सामन्त ने कहा कि इस समय अनाज उगाना बहुत ही महंगा पड़ेगा । इस समय मांस ही सबसे सस्ता रहेगा और उससे पौष्टिकता भी मिलेगी।इस बात का समर्थन सभी सामन्तो ने भी कर दिया। तब राजा ने प्रधानमंत्री से पूछा कि आपकी क्या राय है ।
तब उन्होंने कहा कि मैं ये आपको कल बताऊंगा । रात को प्रधान मंत्री ने बहुत सोचा और उसका एक उपाय निकाला और वो उस सामन्त के पास गए और उनको कहा कि महाराज का स्वास्थ्य खराब हो गया है।
वैद्य जी ने कहा है कि अगर कोई महाराज को अपने हृदय में से आधा सेर मांस दे तो महाराज के प्राण बच सकते है और जो भी ये करेगा उसको दस लाख सोने के सिक्के दिए जाएंगे ।इसलिये मैं आपके पास आया हु आप बहुत ही हष्टपुष्ट है। आप अपने हृदय का मांस दे दीजिए । ये सुनते ही वो सामन्त घबरा गया और मंत्री जी को बोला कि आप चाहे तो दस लाख सिक्के मुझ से ले लीजिए पर आप ये मांस का टुकड़ा किसी और से ले लीजिए और उस सामन्त ने दस लाख सोने के सिक्के प्रधानमंत्री जी को दे दिए।
मंत्री जी ने सभी सामन्तो के साथ ऐसा ही किया।और उनके पास करोड़ो स्वर्ण मुद्राएं हो इकठा हो गयी ।अगले दिन सभी सामन्त और प्रधानमंत्री जी सभा मे आये ।जब राजा सभा मे आये तो वो बिल्कुल स्वस्थ थे।
ये देखकर सभी सामन्तो को समझ आ गया कि मंत्री जी ने हमसे झूठ बोला था ।फिर राजा ने प्रधानमंत्री जी से पूछा कि आपकी क्या राय है।तो प्रधानमंत्री जी ने रात की पूरी घटना राजा को सुनाई और कहा कि इन एक करोड़ स्वर्ण मुद्राओ के बदले मुझे आधा सेर मांस भी नहीं मिला और सारे सिक्के राजा के सामने रख दिये।
अब राजा ने सभी सामन्तो से पूछा कि अब आपकी क्या राय है? क्या अब भी आप कहेंगे कि मांस सबसे सस्ता है।वो जीव जिनका हम शिकार करते है।वो बोल नही सकते और हमारा विरोध नही कर सकते इसलिए हम उनको मार कर खा जाते है ।लेकिन क्या अपने कभी सोचा है जो हमसे ताकतवर होते है अगर वो हमें स्वाद के लिए खा जाए तो हम उनको राक्षस कहते है।
वैसे हम भी तो अपने से कमजोर जीवो को मारकर खा जाते है।तो हममे और राक्षस में क्या फर्क है।हम भी तो एक तरह से राक्षस ही हुए।और फिर राजा ने अपने प्रधान मंत्री को आदेश दिया कि प्रजा के लिए हमारे अन्न भंडार खोल दो और ये स्वर्ण मुद्राएं खेती करने में प्रयोग करो।
कुछ समय बाद उस राज्य की खाद्य समस्या समाप्त हो गयी और वहां पर ख़ुशहाली छा गयी ।
ये कहानी सुनने के बाद उस शिकारी का मन बदल और वो कहने लगा कि अब से वो भी अन्न खाकर ही अपना जीवन यापन करेगा।
दोस्तो आपको ये spiritual kahani कैसी लगी कॉमेंट करे और अच्छी लगे तो शेयर करे। धन्यवाद।
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