राजकुमार विनय और लाल पत्थर hindi soch में जादूगरों का जादूगर
राजकुमार विनय और लाल पत्थर hindi soch में जादूगरों का जादूगर
Fantasy story in hindi soch |
राजकुमार विनय और लाल पत्थर तो चलिए शुरू करते है।
राजकुमार विनय और लाल पत्थर
विनय जब उस महल के अंदर चला जाता है ।तो वहां पर मौजूद सभी लोग उसका अभिनन्दन करते है और विनय को जन्म दिवस की बधाई देते है।
विनय ने आज से पहले कभी भी अपना जन्मदिन इसतरह नही मनाया था।
विनय ने आज से पहले कभी भी अपना जन्मदिन इसतरह नही मनाया था।
वो बहुत ही खुश था।विनय की मौसी ने सभी लोगो से विनय को मिलाया ।
सभी ने विनय को जादुई तोफे दिए। उनमे से एक रिश्तेदार ने विनय को उड़ने वाला कार्पेट दिया।
बाकी उपहार इतने खास नही थे ।जिसने विनय को कार्पेट दिया वो विनय के चाचा थे।
सभी ने विनय को जादुई तोफे दिए। उनमे से एक रिश्तेदार ने विनय को उड़ने वाला कार्पेट दिया।
बाकी उपहार इतने खास नही थे ।जिसने विनय को कार्पेट दिया वो विनय के चाचा थे।
विनय सभी उपहार लेकर अपनी मौसी को अपने कमरे के बारे में पूछा कि मेरा कमरा कहाँ है।
तब उसकी मौसी उसको उसके कमरे में ले गयी।उनके कमरे के बाहर अग्नि का चित्र था।
तब उसकी मौसी उसको उसके कमरे में ले गयी।उनके कमरे के बाहर अग्नि का चित्र था।
वो उस चित्र को बहुत ही गोर से देखने लगा। और अपनी मौसी से कहा कि ये चित्र यहाँ क्यो लगा है ।
सावित्री बोली कि ये तुम्हारा खानदानी चिन्ह है।
सावित्री बोली कि ये तुम्हारा खानदानी चिन्ह है।
खानदानी चिन्ह मतलब विनय ने पूछा -।सावित्री ने कहा कि तुम अग्नि वंशी हो ।
विनय ने बड़े भोलेपन से पूछा कि ये अग्निवंशी क्या होता है।
तब सावित्री ने विनय को उसके वंश के बारे में बताया कि उसके पूर्वज बहुत बड़े जादूगर थे।
उनका नाम मकराज था। वे जादूगरी के हर रहस्य को जानने वाले थे।
उन्होंने एक जादुई पत्थर का निर्माण किया ।वो पत्थर जीसके भी पास होगा उसका अग्नि पर पूरा नियंत्रण होगा।
वो आग का हर तरह से प्रयोग कर सकेगा।
इसलिए इसलिए उस पत्थर का नाम अग्नि पत्थर पड़ा उसको लाल पत्थर भी कहते है।
उस पत्थर को बनाने के कारण लोग आपके पूर्वजो को अग्नि वंशी कहने लगे।
विनय ने पूछा की अब वो पत्थर कहां है। तो सावित्री बोली कि कहते है के वो पत्थर पश्चिमी बंगाल के सुंदरवन में है।
लेकिन जहाँ पर वो है। वहाँ पर जाना बहुत ही मुश्किल है। बड़े बड़े जादूगर भी वहाँ नही पहुंच पाते है।
तब विनय ने कहा कि मेरे पूर्वज जादूगर थे ।आप भी जादु जानती हो।क्या मैं भी जादू सिख सकता हु ? तब सावित्री ने कहा कि हां तुम भ जादू सिख सकते हो।
विनय ने बड़े भोलेपन से पूछा कि ये अग्निवंशी क्या होता है।
तब सावित्री ने विनय को उसके वंश के बारे में बताया कि उसके पूर्वज बहुत बड़े जादूगर थे।
उनका नाम मकराज था। वे जादूगरी के हर रहस्य को जानने वाले थे।
उन्होंने एक जादुई पत्थर का निर्माण किया ।वो पत्थर जीसके भी पास होगा उसका अग्नि पर पूरा नियंत्रण होगा।
वो आग का हर तरह से प्रयोग कर सकेगा।
इसलिए इसलिए उस पत्थर का नाम अग्नि पत्थर पड़ा उसको लाल पत्थर भी कहते है।
उस पत्थर को बनाने के कारण लोग आपके पूर्वजो को अग्नि वंशी कहने लगे।
विनय ने पूछा की अब वो पत्थर कहां है। तो सावित्री बोली कि कहते है के वो पत्थर पश्चिमी बंगाल के सुंदरवन में है।
लेकिन जहाँ पर वो है। वहाँ पर जाना बहुत ही मुश्किल है। बड़े बड़े जादूगर भी वहाँ नही पहुंच पाते है।
तब विनय ने कहा कि मेरे पूर्वज जादूगर थे ।आप भी जादु जानती हो।क्या मैं भी जादू सिख सकता हु ? तब सावित्री ने कहा कि हां तुम भ जादू सिख सकते हो।
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