राम जी का प्राकट्य क्यो हुआ था Spiritual short story in hindi soch
Spiritual short story in hindi soch
राम जी का प्राकट्य क्यो हुआ था और देवी सती ने राम जी की परीक्षा क्यो ली
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दोस्तो आपका स्वागत हैै Spiritual short story in hindi soch मेंऔर मैं हु आपका दोस्त मुंगेरी ढालिया।दोस्तो आज में राम जी का प्राकट्य क्यो हुआ था और देवी सती ने राम जी की परीक्षा क्यो ली
राम जी का प्राकट्य क्यो हुआ
दशरथ जी और माता कौशल्या ही पिछले जन्म मनु और शतरूपा थे।
मनु और शतरूपा ने भगवान विष्णु का कठोर तपस्या करते है।उनकी तपस्या देखकर भगवान विष्णु प्रकट होते है।
फिर भगवान विष्णु मनु और शतरूपा को वरदान मांगने के लिए कहते है। वे भगवान विष्णु से उनके जैसे पुत्र की प्राप्ति होने का वरदान मांगते है।तब विष्णु जी कहते है कि मेरे जैसा तो नही आ सकता मैं स्वयं ही अगले जन्म में आपके पुत्र के रूप में प्रकट होऊंगा ।
अगले जन्म में मनु और शतरूपा दशरथजी और कौशल्या के रूप में जन्म लेते है ।और भगवान विष्णु जी अपने वचन के अनुसार उनके पुत्र के रूपमे प्रकट होते है।
वो अपने वास्तविक रूप में ही प्रकट होते है।
उनके चार हाथ होते है।जिनमें चक्र पदम् गदा शंख आदि होते है।
उनकी माता उनसे प्रार्थना करती है कि वो एक बल रूप में आये क्योकि अगर वो इस रूप में रहेंगें तो वे वात्सल्य भाव से उनको नही पाल पाएंगी।
उनकी प्रार्थना सुनकर भगवान एक बालक के रूप में लीला करने लगे।
फिर वे महृषि वशिष्ट जी से शिक्षा प्राप्त करने चले गए।शिक्षा प्राप्त करके जब वे वापिस आये तो महृषि विश्वामित्र उनको अपने साथ ले गए।
माता सती द्वारा राम जी की परीक्षा
फिर उनका विवाह सीता जी से हुआ। राम जी को वनवास हुआ लक्ष्मण जी और सीता जी उनके साथ वन में गए।रावण ने छल करके सीता जी का अपहरण कर लियाऔर उनको लंका ले गया।
माता सीता के वियोग में राम जी वनों में भटक रहे थे और सबसे सीता जी का पता पूछ रहे थे।
भगवान शिव अपनी पत्नी सति को साथ लिए उसी जंगल से जा रहे थे ।
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भगवान शिव ने श्री राम को देखकर प्रणाम किया।माता सती ने कहा कि अपने इनको प्रणाम क्यो किया ।तो शिवजी बोले कि ये सर्व अन्तर्यामी भगवान है। ये त्रिकाल दर्शी है ये भूत भविष्य सभी कुछ जानने वाले है।
माता सती को इस बात पर विश्वास नही हुआ थोड़ी दूर जाने के बाद माता सती माता सीता का रूप लेकर भगवान राम के सन्मुख आयी ओर उनसे कहा कि रावण ने उनको छोड़ दिया ।लेकिन राम जी तो अन्तर्यामी है ।वे जान गए कि ये माता सती है और उनके चरणो मे प्रणाम किया और कहा माता अकेले आयी है ।
हमारे शिवजी नही आये ।ये सुनकर माता को बहुत पश्चाताप हुआ।जब वो वहाँ से निकली तो उन्होंने देखा कि वहाँ पर हर जगह पर राम जी लक्ष्मण जी और माता सीता नजर आ रहे थे।
जब वे शिव जी जे पास गई तो उन्होंने कहा ले आयी मायापति की परीक्षा।माता सती को इस बात का बहुत दुख हुआ।
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