Maharaja raghu ki kahta story of maharaja raghu in spiritual kahaniya
Maharaja raghu ki kahta story of maharaja raghu in spiritual kahaniya
दोस्तों आपका स्वागत है, spiritual kahaniya में और मैं हु आपका दोस्त मुंगेरी ढालिया ।दोस्तो आज हम एक ऐसे राजा के बारे में जानेंगे जिनके प्रताप से इन्द्र भी डरता था ।तो चलिये शुरू करते है ।
दोस्तो सूर्यवंश में कई राजा ऐसे हुए है ।जिनके बल के आगे कोई नही टीक पाया यह तक कि इन्द्र भी उनको हरा नही पाया ।दोस्तो ऐसे ही राजा थे महाराज रघु इन्हींके नाम पर आगे जाकर इनके वंश को रघु वंश कहा जाने लगा ।
ये बहुत ही प्रतापी और दानवीर राजा थे ।जिन्होंने अपने शासन काल मे अनेको यज्ञ करवाये ।एक बार ये यज्ञ कर रहे थे ।तो इन्द्र इनका यज्ञ का घोड़ा लेकर जाने लगे तो राजा रघु ने इनका पीछा किया ।और दोनोमे युद्ध होने लग गया ।पर इन्द्र राजा रघु को हरा नही पाए ।फिर अंत मे उन्होंने अपना वज्र का प्रयोग किया ।वज्र के प्रभाव से राजा कुछ देर के लिए मूर्छित हो गए ।फिर होश आते ही वे युद्ध के लिए फिर से तैयार हो गए ।
ये देखकर इन्द्र ने कहा कि मैं तुम्हारी वीरता से प्रसन्न और उनको उस यज्ञ का जो भी फल था ।उनको दे दिया।
उन्होंने एक यज्ञ में अपनी सारी संपत्ति ही दान कर दी ।
उनके पास कूद के इस्तेमाल के लिए भी मिटी के बर्तन थे ।एक बार एक ब्राह्मण अपने गुरु को गुरुदक्षिणा देने के लिए राजा रघु से चौदह कोटि सवर्ण मुद्राये लेने के लिए आये क्योकि उन्होने राजा रघु का नाम सुना था कि वे किसी को भी अपने द्वार से खाली हाथ नही जाने देते ।
लेकिन वहाँ पहुंच कर उन्हें पता चला कि उन्होंने अपनी सारी सम्पति दान कर दी है और वे वापस जाने लगे ।
तो राजा ने उन्हें बुलाया ।और आने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि उनको चौदह कोटि सवर्ण मुद्रा अपने गुरु को गुरु दक्षिणा में देनी है ।तो राजा ने कहा कि कल आकर ले जाना ।मैं आज ही कुबेर पर चढ़ाई करता हु ।और उनसे आपके लिए स्वर्ण मुद्राएं लेकर आता हूं।
फिर राजा ने अपनी सेना को तैयार होने का आदेश दिया ।तो उनकें मंत्री ने कहा कि महाराज अब कुबेर से युद्ध करने की कोई आवश्यकता नही कुबेर आपकी शक्ति को जनता है इसलिए उसने स्वर्ण मुद्राओं की वर्षा कर दी तब राजा ने कहा कि ये सब तुम्हारी है ।तुम ये सब लजाओ तब ब्राह्मण ने कहा कि मज्झे चौदह कोटि ही चाहिए ।
तब राजा ने उसको चौदह कोटि स्वर्ण मुद्रा दी ।
बाकी को ब्राह्मणों को बांट दिया
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धन्यवाद
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